Tuesday, July 14, 2009

न जाने कौन है वो?

बेसुध पड़ा किनारों पर,
भावों के अंगारों पर,
बेबस संजीदा दीवारों पर
मांगता दुआएं मज़ारों पर
न जाने कौन है वो?
मूर्च्छित हँसी और सजल नयन,
विक्षप्त मुख मनो दुःख-दर्पण
और दुखों की बदली से अश्रुवर्षा रोकने का संयम
न जाने कौन है वो?
बँटोरता चिंगारी राख़ के ढेरों से ,
मांगता रौशनी वो अंधेरों से
बचता फिरता दुनिया के फेरों से ,
न जाने कौन है वो?
आंखों में उसकी अक्सर एक वेदना सी रहती है,
बिना शब्दों में बंधे हुए,
उसकी चुप्पी भी कुछ कहती है,
उसके मन की पीड़ा बस उसकी अन्तर आत्मा ही सहती है
उसे देखकर ये लगता है,
जैसे सदियों से मौन है वो,
न जाने कौन है वो?

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