गलियों से गुजरते हुए ,
कुछ दूर रह चलते हुए
दिखता है मुझे एक पागल,
कभी हँसते हुए, कभी रोते हुए,कभी खुश तो कभी तड़पते हुए,
करता हर अन्जान से वो बातें और रहता है अक्सर खोया सा,
खुली आँखों के संग भी वो दिखता है अक्सर सोया सा,
लव उदास,ऑंखें उदास,जीने की न हो जैसे कोई प्यास
रहता है वो पागल,
कभी जेठ की दुपहरी में झुलसते हुए,
कभी पूस की रातों में ठिठुरते हुए,
न जाने क्यूँ मगर उसकी उदासी अनजानी नहीं लगती,
दुनिया की भीड़ सी बेगानी लगती,
मुझे पता है मेरे अन्दर भी एक ऐसा ही पागल है,
ऊपर से भले हूँ शांत, अन्दर मची एक हलचल है,
मिल जाती है कई बार मुझे मेरी भावनाएं
यूँ ही कभी सिसकते हुए और कभी बिलखते हुए!!!!!!!!!!
When we see someone in pain, it memorizes us about the moment when we were loosing hopes & no one was around to keep his hands on our solder & to say that I m always there 4 u & we also do the same thing becoz we have stopped feeling for others........
Tuesday, July 14, 2009
न जाने कौन है वो?
बेसुध पड़ा किनारों पर,
भावों के अंगारों पर,
बेबस संजीदा दीवारों पर
मांगता दुआएं मज़ारों पर
न जाने कौन है वो?
मूर्च्छित हँसी और सजल नयन,
विक्षप्त मुख मनो दुःख-दर्पण
और दुखों की बदली से अश्रुवर्षा रोकने का संयम
न जाने कौन है वो?
बँटोरता चिंगारी राख़ के ढेरों से ,
मांगता रौशनी वो अंधेरों से
बचता फिरता दुनिया के फेरों से ,
न जाने कौन है वो?
आंखों में उसकी अक्सर एक वेदना सी रहती है,
बिना शब्दों में बंधे हुए,
उसकी चुप्पी भी कुछ कहती है,
उसके मन की पीड़ा बस उसकी अन्तर आत्मा ही सहती है
उसे देखकर ये लगता है,
जैसे सदियों से मौन है वो,
न जाने कौन है वो?
भावों के अंगारों पर,
बेबस संजीदा दीवारों पर
मांगता दुआएं मज़ारों पर
न जाने कौन है वो?
मूर्च्छित हँसी और सजल नयन,
विक्षप्त मुख मनो दुःख-दर्पण
और दुखों की बदली से अश्रुवर्षा रोकने का संयम
न जाने कौन है वो?
बँटोरता चिंगारी राख़ के ढेरों से ,
मांगता रौशनी वो अंधेरों से
बचता फिरता दुनिया के फेरों से ,
न जाने कौन है वो?
आंखों में उसकी अक्सर एक वेदना सी रहती है,
बिना शब्दों में बंधे हुए,
उसकी चुप्पी भी कुछ कहती है,
उसके मन की पीड़ा बस उसकी अन्तर आत्मा ही सहती है
उसे देखकर ये लगता है,
जैसे सदियों से मौन है वो,
न जाने कौन है वो?
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