Wednesday, July 22, 2009

क्या है ये ????????

ये कोई चाँद है,
बादल से छिटक कर निकला है ,
ये सितारा है,
सरेशाम चमक कर निकला है,
यूँ मेरी ऑंखें क्यों ढूंढे है अँधेरा अक्सर,
ये चाँद का नूर है जो बहक कर निकला है,
ये आफताब है,
अंधेरे की फतह को निकला है,
ये भंवरा है,
फूलों की गोद से महक कर निकला है,
मेरी सांसें यूँ मदहोश हुए जाती है क्यूँ,
ये उनके प्यार का जज्बा है,
जो बहक कर निकला है ,
रात अब जाकर कही गहरी होने लगी है,
चांदनी में नहाकर सुनहरी होने लगी है,
क्यूँ मेरा मन बेताब होने लगा यूँ,
जैसे पंछियों का कोई रेला चहक कर निकला है,
फिजां में मोहब्बत का रंग छाने लगा है,
उस छूअन क्यों ये मन घबराने लगा है,
मेरी धड़कनें गर्म होने लगी यूँ ,
जैसे उनकी सांसों का अंगार दहक कर निकला है।
ये कोई चाँद है............
ये सितारा है..........