निगाहें है बड़ी कातिल,
हँसी भी जानलेवा है,
बहक तू यूँ न मेरे दिल,
ये पल भर का छलावा है
मिलती है जो ऑंखें हमारी उनकी आँखों से,
इन आँखों पर झट से पलकों का परदा गिर जाता है
पर ये ऑंखें है बेपर्द क्यूँ इतनी,
इन बेपर्द आँखों का न जाने क्या इरादा है
नज़र बेचैन लगते हैं
पर लव क्यूँ मौन लगते हैं
शरारत है ये उनकी नज़रों का,
या मेरा ख़ुद का भुलावा है
निगाहें ....
होठों की कुटिल मुस्कान पल पल रंग बदलती है
लवों पे चुप्पी रहती है
हँसी भी जानलेवा है,
बहक तू यूँ न मेरे दिल,
ये पल भर का छलावा है
मिलती है जो ऑंखें हमारी उनकी आँखों से,
इन आँखों पर झट से पलकों का परदा गिर जाता है
पर ये ऑंखें है बेपर्द क्यूँ इतनी,
इन बेपर्द आँखों का न जाने क्या इरादा है
नज़र बेचैन लगते हैं
पर लव क्यूँ मौन लगते हैं
शरारत है ये उनकी नज़रों का,
या मेरा ख़ुद का भुलावा है
निगाहें ....
होठों की कुटिल मुस्कान पल पल रंग बदलती है
लवों पे चुप्पी रहती है
निगाहे बात करती है
अंदाजे बयां करने की क्यूँ उनकी इतनी अलग सी भाषा है
निगाहें हैं बड़ी ..........
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